सोमवार, 30 अगस्त 2010

६.

.जीवन अनमोल है , स्वस्थ मानसिकता रखिये

कुछ लोग जीवन से भागने में ही समस्या का समाधान खोजने लगते हैंउनका रुख आत्महत्या की तरफ होता हैक्या उन्होंने कभी सोचा है कि जिस मौत को वो गले लगाने जा रहे हैं , वह कितनी तकलीफदेह होती है ? कौन जानता है कि मौत के बाद हमें इस से भी भयावह परिस्थितियों का सामना करना पड़े ? अभी तो हम शरीर दिमाग से समर्थ हैं परिस्थितियों को बदलने की क्षमता रखते हैं , बाद की बात कौन जानता हैबहादुरी भागने में नहीं डट कर सामना करने में हैहारना या जीतना मायने नहीं रखता , सामना करना मायने रखता हैकर्मफल प्रकृति के हाथ में हैआग जली तो तपिश होगी ही , बारिश हुई तो नमी होगी ही ; इसी प्रकार प्रकृति के नियमानुसार हम कर्मों का फल पाते हैं

आत्महत्या का विचार भी मन में लाना पाप है हम अपनी मर्जी से इस दुनिया में आए हैं , ही अपनी मर्जी से इस दुनिया से जायेंगेये विधान ऊपर वाले ने अपने हाथ में रखा हुआ हैहम उसके हाथ की कठपुतलियाँ हैं , उसने धागे को ज़रा कसा या ढीला किया , हम असन्तुलित हो जाते हैंउसने जब हमें खुशियाँ दीं , हम सोचते हैं , मैंने किया , मैंने पाया ; अभिमान से भर जाते हैंकभी उसका शुक्रिया अदा नहीं करतेजब ज़रा दुख आए , हम हारने लगते हैंकिस्मत को , खुदा को , वक्त को , व्यक्तियों को दोष देने लगते हैंइसमें भी प्रभू का भेद जानोवो चाहता है हम उसे याद करें , उसे पुकारें , भक्त की आर्त पुकार पर प्रभु दौड़ा चला आता हैहम उसे महसूस तो करें , उसका आशीर्वाद पा लेंगे

जिन्दगी की परीक्षाओं में फेल होने पर छोटे बच्चे क्या बड़े बड़े भी घर छोड़ने की , दुनिया छोड़ने की बात सोचने लग जाते हैंउनसे ये विनती है कि कभी भूल कर भी ये विचार मन में लायेंउनके माँ-बाप , परिवार के लोग , सब उनसे कितना स्नेह करते हैं कि उन्होंने सब उम्मीदें अपने इस बच्चे से लगा लींवो अपने बच्चे को सबसे ऊपर देखना चाहते थे , बस यही उनका अपराध बन गयाउन्होंने कभी तुम्हें डांटा होगाबच्चे , अपने आपको उनकी जगह रख कर सोचो तो पाओगे कि तुम भी इसी तरह अपने बच्चों से उम्मीद करोगे और ऐसा ही व्यवहार करोगेदुनिया से जाने का मतलब एक मिटने वाला कलंक अपने अपने प्रियजनों के नाम पर लगा देनावो जो तुम्हें इतना प्यार करते हैं , इस अंजाम के बारे में सोच भी नहीं सकतेजाने के बाद वापसी अपने हाथ नहीं होगी , फिर हम लाख चाहें , हम लौटें , हमारे बस की बात नहीं होगीजाते जाते आधे बीच में लटक गए तब ? त्रिशंकु की तरह उल्टे लटक कर नरक इसी दुनिया में भोगना पडा तब ?

एक और तथ्य को समझो ये परिस्थितियाँ जो इस बात के लिये जिम्मेदार हैं , इन्हें , इस वक्त को निकल जाने दो , कुछ मत बोलोईश्वर , प्रभु यीशु , खुदा , बाबा नानक , जिसको भी मानते हो , उसके आगे सिर टेक कर बस इस वक्त को गुजर जाने दो , बात को बिगड़ने मत दोअनहोनी वाली घड़ी टल जायेगी , फिर सब कुछ शांत हो जाएगावक्त खुद-ब-खुद एक बड़ा मरहम है

तुम परेशान होओगे कि मैं दुनिया का , माँ-बाप का सामना कैसे करूँतुमने किसी की हत्या नहीं की , कोई पाप नहीं किया , घबराओ नहींअपनी इस ठोकर से प्रेरणा लो कि मैं अब जरुर मेहनत करूँगा , करके दिखाऊंगा । यकीन मानिए , हार को बस स्वीकार कीजिये , बस कुछ ही दिनों की बात है , दुनिया कहाँ याद रखती है कि कौन फेल हुआ था कौन पास ; बस ये बीती बात हो जायेगी ।
इंसानियत , जिन्दगी सबसे बड़ा धर्म है । जान देने व जान लेने का हक़ किसी को नहीं है । कुछ भी हो जाए , कैसे भी दुख आयें , जिन्दगी निरन्तर चलती रहनी चाहिए ; जैसे नदियाँ कल-कल करती , रास्ते के सारे कार्य करतीं , प्यासों की प्यास बुझातीं , अन्न-फलों -सब्जियों को सीँचतीं , हमारी आँखों को तृप्त करतीं , बिना कोई शिकायत किये , मन्जिल (समुद्र ) तक पहुँचने के लिये चलती रहती हैं । हम कर्म करने के लिये पैदा हुए हैं । काम तो किस्मत होते हैं , इस मन्त्र के सामने कोई बाधा नहीं आती । दुख से आप बड़ी आसानी से पार पा सकते हो । शुभ कर्म करते हुए आपको भरपूर मानसिक संतुष्टि प्राप्त होती है ।
कोई न कोई खासयित तुम्हारे अन्दर जरुर होगी , उसे पहचान कर विकसित करें । असीम आनन्द पाओगे , आप किसी न किसी क्षेत्र में जरुर सफल होंगे ।
जीवन-मृत्यु ईश्वर के हाथ में है , हमें चिंता नहीं करनी । मौत को जब आना होगा आप घर से न भी निकलें तो भी आयेगी ही । जितनी जिन्दगी किस्मत में लिखी है , उसे कोई नहीं छीन सकता । ' जियो और जीने दो ' वाली उक्ति अपनाएँ । सबकी ख़ुशी में खुश रहें । किसी गरीब की मदद करें , किसी रोते हुए बच्चे को हँसाएँ , किसी बीमार की सेवा करें । अपनी जिन्दगी को एक अर्थ दें , अपने लिये तो सभी जीते हैं , जितना बन पड़े , दूसरों के लिये भी जी कर देखें । यही हमारे संचित कर्म बन जायेंगे । संचित धन तो इस जन्म में मदद करता है , संचित कर्म तो अगले जन्म में भी मदद करते हैं । ये हमारे मरने के बाद भी जिन्दा रहते हैं । पिछले कर्मों का हिसाब हम भोग रहे हैं , अब हम जो अच्छे कर्म करेंगे तो आगे की चिंता नहीं करनी पड़ेगी । हम अपने कर्मों को भोगे बिना इस दुनिया से नहीं जा सकते , बार बार लौटना पड़ सकता है ।
जब कोई कठिनाई आती है , घबराओ नहीं । कठिनाइयों का सामना किये बिना क्या कोई शक्तिशाली बना है ? हृदय को गिरावट की तरफ न ले जाओ । ईश्वर की कृपा का सहारा लेकर मार्ग तय कर लो । आत्म-विश्वास असंभव लगने वाले कार्यों को भी संभव बना देता है ।
" तुम्हारा शरीर तुम्हारी आत्मा का सितार है , और ये तुम्हारे हाथ की बात है कि तुम उससे मधुर स्वर झंकृत करो या बेसुरी आवाज निकालो । " _खलील जिब्रान
प्रभु ने ये शरीर , आत्मा को एक साधन के रूप में दिया है । सुख-सुविधाओं को भोगने के साथ साथ सेवा करने का , कर्म करने का , असंभव को संभव कर दिखने का माध्यम है ये ।
गम और ख़ुशी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । ख़ुशी मन की भावना की एक स्थिति है , इसी तरह दुख भी मन की एक हालत है । वक्त के साथ जिस तरह ख़ुशी कम होती जाती है , उसी तरह गम का रंग भी फीका पड़ता जाता है । हमें गम से जल्दी से जल्दी बाहर आ जाना चाहिए । जितना ज्यादा महसूस करेंगे , उतना ज्यादा गहराता जाएगा , हम अन्तर्मुखी होते जायेंगे और बाहरी दुनिया से नाता टूटता जाएगा । इस जीवन का उद्देश्य अकेले जीना या टूटना नहीं है । इस जीवन का उद्देश्य कर्म है , मनुष्य मात्र की भलाई है । खाली दिमाग शैतान का घर बन जाता है , उसे रचनात्मक दिशा दीजिये । सकारात्मक सोच दीजिये । आशावादी सोच किसी दवा से कम नहीं है ।
" ज्यादा चीजें या ज्यादा पैसा पाने से ख़ुशी नहीं मिलती । यह खुद को पहचान कर अपनी जरूरतों के अनुरूप लक्ष्यों को पाने से मिलती है । " ये विचार हैं मारग्रेट यंग के । अपने आसपास के नेक लोगों से भी हम अच्छाई का रास्ता सीख सकते हैं । हर दिन उठ कर सोचें कि आज का दिन मेरे लिये बहुत महत्व-पूर्ण है और इसे अधिक से अधिक उपयोगी बनाना है । आशा और उत्साह से अपने मार्ग पर अग्रसर होवो ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. शारदा जी नमस्कार! दिल से लिखी हैँ आपने दिल की बात। आपने इस लेख मेँ अपने आपको हतासोँ के प्रति समर्पित कर दिया हैँ। धन्यवाद! मैँ कहना चाहूँगा कि " शब्द ही संसार हैँ, शब्द ही आकार हैँ, शब्द ही प्रकार हैँ। जो समझ गया तो सार हैँ, जो ना समझा तो बेकार हैँ।।

    जवाब देंहटाएं

आप टिप्पणी दें न दें ,आपके दिल में मुस्कान हो ,जोश होश और प्रेरणा का जज्बा हो ,जो सदियों से बिखरती इकाइयों को जोड़ने के लिए जरुरी है ,बस वही मेरा उपहार है ....