बुधवार, 23 जून 2010

२.


२.आत्म-विश्वास बनाये रखिये
आत्मबल बनाये रखें । हर किसी के मन के अन्दर इतनी ताकत है कि वह अपने इस मन को दिशा दे सके । ' हम होंगे कामयाब एक दिन ' इस नारे को बार बार दोहरायें । मैं इस मन को साध लूँगा , हार नहीं मानूँगा । मैं वही हूँ , जो पहले था , थोड़ी परिस्थितियाँ बदलने से हार नहीं मानूँगा ।
अपने आप से प्यार कीजिये । शक्ल से सुन्दर हों या नहीं , अपने गुणों की ओर ध्यान दीजिये , अपीरियेंस बहुत कुछ है पर सब कुछ नहीं । फिर भी पहली नजर में अपीरियेंस असर रखती है , इसलिए ग्रुमिंग ( सँवरने) पर जरूर ध्यान दीजिये । इससे भी मनोबल बढेगा । जिन लोगों पर आप आश्रित हैं , उनके प्यार को महसूस करें व जो लोग आप पर आश्रित हैं उनकी भावनाओं को महसूस करें।
3. दिनचर्या बनाइये व अनुसरण कीजिये
कब क्या काम आप करते आए हैं , उसी तरह से हर काम कीजिये । सुबह के वक्त नकारात्मक विचार आपको ज्यादा घेरेंगे , अपने आपको बिलकुल ढील मत दीजिये , प्रभु को याद करते हुए एकदम बिस्तर छोड़ दीजिये । आपका मन कहेगा और दस मिनट लेट लूँ फिर करूँगा ; मृगमारिचिका की तरह आपके दस मिनट कभी पूरे नहीं होंगे । मन क्योंकि हर वक्त थका हुआ रहता है , हर बात का बहाना खोज लेगा । आपको रूटीन से चलना ही है , ये तय कर लीजिये । वॉक , योग और ध्यान अपनी दिनचर्या में शामिल करिए । वॉक और योगाभ्यास मानसिक और शारीरिक समस्याओं को दूर करता है । इससे शरीर की प्राकृतिक लोच भी बनी रहेगी , रक्त का सँचार तेज होगा और मानसिक एकाग्रता बढ़ेगी । ध्यान से आपका अन्तर्मन सशक्त होगा ।
बिस्तर पर आप सिर्फ सोने जायेंगे । अपने समय का सदुपयोग कीजिये ।

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