बुधवार, 23 मार्च 2011

१२.

अवसाद किन परिस्थितियों में हो सकता है -

.आडम्बर करते करते अपना ही मन धोखा दे जाए (clash between the outer world and the innerself )

.अति महत्वाकाँक्षी होना

.कोई बड़ी आर्थिक हानि , अचानक आई हुई विपदा

.भावनात्मक असुरक्षा महसूस करना

.अनैतिक सम्बधों के कारण

ब.पैसे की कमी के कारण

स.बच्चों को प्यार मिलना

द.वक्त की कमी की वजह से

.प्रियजन का बिछोह

.पारिवारिक कारणों से या व्यवसायिक कारणों से बना हुआ तनाव

.मन के विरुद्ध परिस्थितियों में लगातार काम करना

.खाली दिमाग , बेरोजगारी

.शक

१०.भ्रम

११.डर

१२.संवादहीनता

१३.गलती कर बैठने का अहसास

१४.अत्यधिक व्यस्तता

ये कारण परिस्थिति जन्य हैंकारण कोई भी हो , आपकी मनस्थिति को कमजोर करता हैफिर सामना करने की बजाय , हल ढूँढने की बजाय अगर आप उस से भागना चाहते हैं , अशक्त महसूस करते हैं , बस यहीं से शुरू होता है मानसिक अवसादजितना भागेंगे ये गहराता जाएगापलायन की बात कभी सोचेंसमस्या से हारें या जीतें ,कोई गम करेंबहादुरी से सामना करेंपरिस्थिति से भाग कर अवसाद को जन्म लेने देंउठिए कमर कस लीजियेईश्वर ने सबके मन को इतनी ताकत दी है कि रेत की तरह फिसलते हुए अपने मन को अपनी मुट्ठी में जकड़ ले

बोरियत हो तो समझ लें अवसाद रुपी शत्रु जाग रहा है , सावधान हो जाइएएक पल गंवाइये , कुछ कुछ करिएवॉक पर जाइए , किसी को मिलने जाइए या किसी को घर पर बुलाइएकुछ भी कर्म कीजिये

यदि तुम सूर्य के खो जाने पर आँसूं बहाओगे , तो तारों को भी खो बैठोगे । _ रवीन्द्र नाथ टैगोर

इस बात को सदा याद रखेंकितना भी खोया हो , जो आपके पास बचा है , उसे संभालिये , उसे संवारिये । दुनिया वही है , सिर्फ आपने उसे देखने का नजरिया बदल दिया हैदृढ़ता के साथ अपने आप को संभालियेमन को सशक्त महसूस कीजियेआपके पास बहुत कुछ होगा जो आपकी तरफ सहारा पाने की आस लिये ताक रहा होगा , वही आपका सहारा बनेगाअपने झिलमिलाते तारों को सहेजियेजिन्दगी एक नए सिरे से शुरू कीजिये

' कर्म ' जीवन का मूल मन्त्र हैयही एक और एकमात्र मन्त्र है अवसाद से बाहर आने कासूर्य , चंद्रमा , पृथ्वी सब निरन्तर गतिशील हैंयहाँ तक कि समुद्र में लहरें भी निरन्तर गतिमान हैंगति ही जीवन हैजँग लग कर खत्म होने से अच्छा है कि किसी के काम कर खत्म होवें

किसी शायर ने क्या खूब कहा है ...

घर से मस्जिद है बहुत दूर , चलो कुछ यूँ कर लें

चन्द रोते हुए बच्चों को हँसाया जाए

कोई भी अच्छा काम करने से आत्म संतुष्टि प्राप्त होती हैकर्म और कर्तव्य परायणता साथ साथ चलते हैंकर्तव्य से कभी मुँह मोड़ेंजो आपको करना चाहिए , करेंअपने प्रति , परिवार के प्रति , हो सके तो समाज के प्रति भी कर्तव्य से विमुख होंकर्म और कर्तव्य परायणता ही वह सीढ़ी है जो आपको सफलता के उच्चतम शिखर तक पहुँचा सकती हैआपका कर्म आपको एक पहचान देने में सक्षम होगा

ये आपको तय करना है कि कब आपको इस दवा की कितनी खुराक लेनी हैअपने आप से कहें कि ...

हम होंगे कामयाब एक दिन

हम होंगे कामयाब एक दिन

पूरा है विष्वास

पूरा है विष्वास

मन में है विश्वास

हम होंगे कामयाब एक दिन

मानव का मन जितना अधिक पवित्रता से जुड़ा होता है , उतना ही ऊर्जा का क्षय कम होता है

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए आपका आभार. आपका ब्लॉग दिनोदिन उन्नति की ओर अग्रसर हो, आपकी लेखन विधा प्रशंसनीय है. आप हमारे ब्लॉग पर भी अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "अनुसरण कर्ता" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
    डंके की चोट पर

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  2. बहुत सुन्दर उपयोगी रचना ! हार्दिक शुभकामनायें आपको !

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  3. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा....iss situation se bachne k liye mann mai rakhi baat ya darr ko kagaz par likhna shuru kar sakte hai...mujhe bahut fayda hua aisa karne se

    http://shayaridays.blogspot.com

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  4. बहुत कुछ सीखने समझने को मिल रहा है आपकी इस पोस्ट पर.

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आप टिप्पणी दें न दें ,आपके दिल में मुस्कान हो ,जोश होश और प्रेरणा का जज्बा हो ,जो सदियों से बिखरती इकाइयों को जोड़ने के लिए जरुरी है ,बस वही मेरा उपहार है ....