जीवन परिवर्तन-शील है । हमारी परिस्थितियाँ हमेशा एक सी नहीं रहतीं , उतार चढ़ाव जिन्दगी के अभिन्न अँग हैं । यह भी सच है कि प्रत्येक व्यक्ति जीवन के किसी न किसी मोड़ पर न्यूनाधिक रूप से अवसाद से अवश्य गुजरता है , लेकिन जीवन थमता नहीं है , वह थमने के लिए बना भी नहीं है । दुर्भाग्य वश यदि अवसाद इतना बढ़ जाये कि वह मनुष्य के दैनिक कार्य-कलापों को गड़बड़ाने लग जाये तो यह निश्चित रूप से परेशानी का कारण बन जाता है |
अवसाद का कारण कुछ भी हो सकता है । जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन में जो कुछ भी घटित होता है , उसमें से अधिकाँश पर तो हमारा नियन्त्रण होता ही नहीं । जैसे हम अपनी मर्जी से अपने माता-पिता , भाई-बहन , सँतान आदि नहीं चुन सकते । हमें अनिवार्य रूप से इन सबके लिए ईश्वर की देन से समझौता करना पड़ता है । रोजगार की समस्या भी अपना विकराल रूप धारण कर चुकी है । व्यवसाय में भी दबाव अत्यधिक बढ़ गया है । तकनीकी विकास और बाह्य संस्कृति के आक्रमण ने जीवन को और भी कठिन व आडम्बर-पूर्ण बना दिया है । ऐसे में अवसाद हो जाना बहुत स्वाभाविक सा है । कैसे व्यक्ति अपने आप को सम्भाल कर रखे ।
जीवन में विषमताओं से घबरायें नहीं
सँतुलन बनाये रखें
आशावादी बनें , निराशा को दूर भगाएँ
तनाव से दूर रहें चित्त को हल्का फुल्का रखें
यही वे रास्ते हैं जो हमें अवसाद से बचा सकते हैं । इन रास्तों की ओर ले जाने वाला एकमात्र रास्ता है 'कर्म ' । अवसाद ग्रस्त व्यक्ति का मन क्या किसी बात को स्वीकार कर पाया है । उसका दिमाग एक जगह आ कर जैसे जड़ हो जाता है और शून्य से आगे का रास्ता उसे नजर नहीं आता । उसे दिनचर्या बना कर सब काम करने चाहिए , जो काम अचानक सामने आ पड़ें , उन्हें भी बिना घबराए करना चाहिए । बस करते चलना है , एक दिन गाड़ी खुद ही पटरी पर आ जायेगी । इस पृथ्वी पर कुछ भी नया नहीं है , ऐसी तकलीफें मानव मन ने बहुत झेली हैं , हर तकलीफ को पीछे डालो , 'होता है , होता है '। अपने आपको कामों में व्यस्त करके ही वक़्त कटेगा और धीरे-धीरे किसी दिन आपको उन कामों में रूचि पैदा हो जायेगी , और वापिस आप फिर शौक के साथ , जोश के साथ काम करेंगे । कर्म का ज्ञान और उपदेश हमें हमारी गीता से मिलता है । अवसाद ग्रस्त व्यक्ति के लिए यह कितना उपयोगी है , इस बात को वह खुद नहीं जानता और न ही इस बात पर अमल करता है । आराम और शांति के लिए नींद का , विचार शून्य होने का सहारा लेना चाहता है , जो कि एक भ्रम से ज्यादा कुछ नहीं होता । ध्यान हटाने के लिए किसी न किसी कर्म में व्यस्त होना पड़ेगा । कर्म करते चलिए , इच्छा-शक्ति पैदा करिए , धीरे धीरे मन का ध्यान परेशानी से हट कर सकारात्मकता की ओर जाएगा ।
जीवन में विषमताएं आती ही आपकी सहन-शक्ति की परीक्षा के लिए हैं । विषमता को रास्ते की दीवार मत बना लें । परिवर्तन जीवन का नियम है । इसलिए सुख दुःख आयेंगे ही , वर्ना नवीनता क्या रहेगी । दिल में उठती हुई लहरों को तूफ़ान मत बना डालिए , वरन रास्ते के पत्थर से टकरा कर फव्वारे की शक्ल दे दीजिये । मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है , कोई अकेला न जी सका है न जी सकेगा । सारे रँग समाज के साथ ही हैं । अपने रँग खोजिये , अपनी पहचान खोजिये ।
नए युग की देन है ऊँची आकाँक्षाएँ , प्रतिस्पर्धा और तनाव । महत्वाकांक्षी होना बहुत अच्छी बात है । स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा रखना भी अच्छी बात है । तनाव रखना अच्छा नहीं । प्रयत्न करें मगर चित्त को हल्का फुल्का रख कर , तनाव के साथ नहीं ।
ये दुनिया तो बड़ी सुन्दर है , जिस भाव से देखेंगे वैसी ही नजर आयेगी । जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि । अवसाद की तरफ जाता मन सिर्फ अँधेरा पक्ष देखता है , भूल जाता है कि हर रात के बाद दिन आता है । जब सुख स्थाई नहीं है तो दुःख भी कैसे स्थाई हो सकता है । दुःख उतना ही है जितना महसूस कर रहे हो । दुःख एक विषम परिस्थिति से ज्यादा कुछ नहीं है । आपने उसमें प्राण फूंक दिए हैं और उसे जीवंत कर दिया है । जागरूक रहें , दुखों से टूट जाना हमारी नियति नहीं है । हम चलेंगे जीवन के साथ , ताल से ताल मिला कर ।
ये सुझाव किसी मनोवैज्ञानिक के डाक्टरी नुस्खे नहीं हैं , ये अनुभव से प्राप्त जानकारियाँ हैं । इस पुस्तक को मैं ब्लॉग पर लिख रही हूँ , मुझे विश्वास है कि यदि अवसाद किसी मनोरोग के कारण न हो तो इन सुझावों पर अमल अवश्य लाभकारी होगा । इसी में मेरे प्रयासों की सफलता निहित है ।
सोमवार, 26 अप्रैल 2010
दो शब्द
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बहुत अच्छा लिखा आपने मुझे लगता है कि अवसाद और अवसाद से निकलने के लिए यह लेख सार्थक है मैं इसका अनुसरण करता हूं बहुत अच्छा है सच में
जवाब देंहटाएंis lekh se kafi prerna mili hai...........
जवाब देंहटाएंbahoot hi upyogi lekh...
एक प्रेरणा दायक लेख है|
जवाब देंहटाएंaseem shubhkamnayen!
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन । बधाई ।
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
ब्लागजगत पर आपका स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंकिसी भी तरह की तकनीकिक जानकारी के लिये अंतरजाल ब्लाग के स्वामी अंकुर जी,
हिन्दी टेक ब्लाग के मालिक नवीन जी और ई गुरू राजीव जी से संपर्क करें ।
ब्लाग जगत पर संस्कृत की कक्ष्या चल रही है ।
आप भी सादर आमंत्रित हैं,
http://sanskrit-jeevan.blogspot.com/ पर आकर हमारा मार्गदर्शन करें व अपने
सुझाव दें, और अगर हमारा प्रयास पसंद आये तो हमारे फालोअर बनकर संस्कृत के
प्रसार में अपना योगदान दें ।
यदि आप संस्कृत में लिख सकते हैं तो आपको इस ब्लाग पर लेखन के लिये आमन्त्रित किया जा रहा है ।
हमें ईमेल से संपर्क करें pandey.aaanand@gmail.com पर अपना नाम व पूरा परिचय)
धन्यवाद
@शारदा अरोरा जी
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लाग (gatharee.blogspot.com)पर आपकी टिप्पणी अच्छी लगी । यहां मै कुछ कहना चाहुंगा-
चिठ्ठाजगत के माध्यम से मुझे प्रतिदिन नये चिट्ठों की सूची मेरे ईमेल पर प्राप्त होती हैं । मैं पूरी कोशिश करता हूं कि उन सभी का स्वागत करूं और अन्य ब्लागों पर (सिर्फ मेरे ब्लाग पर ही नही )टिप्पणी देने का अनुरोध भी ।
जानकर अच्छा लगा कि आप काफी सक्रिय ब्लागर हैं । आशा है आप अन्यथा नहीं लेंगी ।
ब्लाग जगत की दुनिया में आपका स्वागत है। आप बहुत ही अच्छा लिख रहे है। इसी तरह लिखते रहिए और अपने ब्लॉग को आसमान की उचाईयों तक पहुंचाईये मेरी यही शुभकामनाएं है आपके साथ
जवाब देंहटाएं‘‘ आदत यही बनानी है ज्यादा से ज्यादा(ब्लागों) लोगों तक ट्प्पिणीया अपनी पहुचानी है।’’
हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
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आपके लिखे हुए शब्द प्रेरणादायक हैं और जीवन में एक नई उमंग लाते हैं धन्यवाद मामी जी
जवाब देंहटाएंआपके लिखे हुए शब्द प्रेरणादायक हैं और जीवन में एक नई उमंग लाते हैं धन्यवाद मामी जी
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