निकालो निकालो , मुझे इस अवसाद से निकालो
उठा दो , उठा दो , मेरे मन को उठा दो
क्यों बोये अकेलेपन , बचने , भागने के नुस्खे
बेचैनी , हार , खुद को डुबोने के नुस्खे
चुनने थे फूल , चुन लिये कैसे काँटे
बोनी थीं प्रेम और आत्मविश्वास की फसलें
करना था सामना अपनी हिम्मत के सहारे
आदमी की मार होती या कुदरत की मारें
बन्द गलियों में उदास आदमी हो या हों टूटे सितारे
आसमाँ से उतरें तो चमकने की हसरत को निहारें
आ चलें , बबूल सी खिजाँ हो या हों बहारें
अन्दर इक सागर लेता है हिलोरें
अपनी ऊर्जा और कर्म-शक्ति विचारें
सब मेरे अपने हैं , ये हैं वक्त की मारें
खोया है चैन , खुद को खुद ही पत्थर मारे
निकलना चाहता है चक्रव्यूह से , बताती हैं तेरी पुकारें
आती हैं तराशने बुरे वक्त की ठोकरें
मत खेल अपने दिल से , महँगा खिलौना पुकारे
मैं ही तो वो रँग-राज हूँ , जो तेरे क़दमों में हौसला और हिम्मत उतारे
बढिया अच्छे शब्द
जवाब देंहटाएंमत खेल अपने दिल से , महँगा खिलौना पुकारे
जवाब देंहटाएंमैं ही तो वो रँग-राज हूँ , जो तेरे क़दमों में हौसला और हिम्मत उतारे
बढ़िया ...
bhut hi badiya post likhi hai aapne. Ankit Badigar Ki Traf se Dhanyvad.
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